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माँ
मां के जुमले में ममता और बचपन की किलकारीहै,
मां तो आखिर मां होती है मां की बात ही न्यारी है।
मेरे गीले बिस्तर पर वह रात बिताया करती थी ,
सूखा बिस्तर मुझको देती मुझ पर ही बलिहारी है।
गर्मी के मौसम में जब तेज धूप आ जाती थी।
अपने आंचल से छाया देने की, की उसने तैयारी है।
© abdul qadir
मां तो आखिर मां होती है मां की बात ही न्यारी है।
मेरे गीले बिस्तर पर वह रात बिताया करती थी ,
सूखा बिस्तर मुझको देती मुझ पर ही बलिहारी है।
गर्मी के मौसम में जब तेज धूप आ जाती थी।
अपने आंचल से छाया देने की, की उसने तैयारी है।
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