...

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नाव
बरसती हुई धूप में

बढ़ते ताप में
बहते संताप में

शीतल सी...
ठंडी सी....छाँव हो तुम....

मेरी मंजिल हो
मेरे साहिल हो....

लहर में
भंवर में

मेरे मंझदार की कश्ती
मेरी तरुणी सी तरणी

मेरी स्वप्निल सी नाव हो तुम...