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कांटे और फूल।
फूलों की उम्र ज्यादा नहीं होती।
हृदय के प्रांगण में,
मौसम बदलता रहता है।
फूल संवेदनशील होते हैं।
मौसम में आया बदलाव
उन्हे सुखा देता है।
फूल प्रेम का पर्याय हैं।
कांटे जीवित रहते हैं।
संवेदना कांटो को महसूस नहीं होती।
वो मौसम दर मौसम कठोर होते हैं।
और तीखे होते जाते हैं।
कांटे घृणा का पर्याय हैं।
सभी फूलों के एक एक करके
झड़ कर गिर जाने तक,
महक बरकरार रहती है।
लेकिन कांटों के चुभने पर,
फूलों के कोमल स्पर्श भुला दिए जाते हैं।
उनकी महक हवा में खो जाती है।
उनके रंग उड़ जाते हैं।
फूल अच्छे एहसासों का पर्याय हैं,
और कांटे बुरे एहसासों के प्रतीक।
© Prashant Dixit
हृदय के प्रांगण में,
मौसम बदलता रहता है।
फूल संवेदनशील होते हैं।
मौसम में आया बदलाव
उन्हे सुखा देता है।
फूल प्रेम का पर्याय हैं।
कांटे जीवित रहते हैं।
संवेदना कांटो को महसूस नहीं होती।
वो मौसम दर मौसम कठोर होते हैं।
और तीखे होते जाते हैं।
कांटे घृणा का पर्याय हैं।
सभी फूलों के एक एक करके
झड़ कर गिर जाने तक,
महक बरकरार रहती है।
लेकिन कांटों के चुभने पर,
फूलों के कोमल स्पर्श भुला दिए जाते हैं।
उनकी महक हवा में खो जाती है।
उनके रंग उड़ जाते हैं।
फूल अच्छे एहसासों का पर्याय हैं,
और कांटे बुरे एहसासों के प्रतीक।
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