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कोई बहस नहीं
साथ रहने में थी सारी जफ़ा
ज़ुदा होने पर कोई बहस नहीं
बड़ी आसानी से लौटा दी वफ़ा
ख़ता होने पर कोई बहस नहीं
बातों से होने लगी है चुभन अब
खामोशी पर कोई बहस नहीं
होने लगे दोनों के रास्ते अलहदा
तन्हा सफ़र पर कोई बहस नहीं
बोलती थी आँखे तो जींद लगती थी
'प्रीत' सुर्ख आँखों पर कोई बहस नहीं
© speechless words
ज़ुदा होने पर कोई बहस नहीं
बड़ी आसानी से लौटा दी वफ़ा
ख़ता होने पर कोई बहस नहीं
बातों से होने लगी है चुभन अब
खामोशी पर कोई बहस नहीं
होने लगे दोनों के रास्ते अलहदा
तन्हा सफ़र पर कोई बहस नहीं
बोलती थी आँखे तो जींद लगती थी
'प्रीत' सुर्ख आँखों पर कोई बहस नहीं
© speechless words
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