...

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कोई बहस नहीं
साथ रहने में थी सारी जफ़ा
ज़ुदा होने पर कोई बहस नहीं

बड़ी आसानी से लौटा दी वफ़ा
ख़ता होने पर कोई बहस नहीं

बातों से होने लगी है चुभन अब
खामोशी पर कोई बहस नहीं

होने लगे दोनों के रास्ते अलहदा
तन्हा सफ़र पर कोई बहस नहीं

बोलती थी आँखे तो जींद लगती थी
'प्रीत' सुर्ख आँखों पर कोई बहस नहीं

© speechless words