...

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बतौर जिस्म मैं तेरा हूं,
तुमसे रिश्ता रखने में मेरी भी रजाबंदी है,
उस के साथ निभाने में मगर खुद मेरी पाबंदी है,
तेरे साथ रहते भी लेकिन मेरा उसकी और गौर है।
••बतौर जिस्म मैं तेरा हूं रुह मेरी मगर कहीं और है।।
सच्च जैसे, मैं झूठ भी कह सकता हूं सफाई से,
उसकी इजाजत से हूं पास तेरे ना की बेवफाई से,
वरना आजकल हर तरफ बेवफाई का दौर है।
••बतौर जिस्म मैं तेरा हूं रुह मेरी मगर कहीं और है।।
नफरत नहीं तुमसे मुझे बल्कि हमदर्दी है,
उसे याद रखना मेरी नहीं, दिल की खुदगर्जी है,
सही कहूं दिल का मेरे तरीका है ना कोई तौर है।
••बतौर जिस्म मैं तेरा हूं रुह मेरी मगर कहीं और है।।
© Dharminder Dhiman