...

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गुलमोहर
तुम अक्सर मुझे
श्रमिकों की दशा
बतलाते रहते हो...

और मेरी निगाहें,

रक्ताभ वर्ण लिऐ
श्रम से स्रावित
उष्मा अवशोषित
गांधहीन रही
तलहटी में छितरी
गुलमोहर की पुष्पों को
निहारती रहती है।