...

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तुम मेरी कविता हुआ करती थी
आज भी जा बैठता हू ऊस जगह पर,
जहाँ चाय के साथ तुमसे बात हुआ करती थी ।

वैसे रहते तो थे अलग अलग शहर में,
पर तू हर पल हर जगह साथ हुआ करती थी ।

कूछ किस्से सुना दिये, कूछ अनसुने रहे गये,
बडी ही मुश्किल से तो मुलकात हुआ करती थी ।

अपना भी तो किस्सा मशहूर था ऊन दिनो,
जीसकी चर्चा गली के हर चौराह पर हुआ करती थी ।

माना के अब वो वक्त बीत गया, वो समय गुजर गया,
जब मै शब्द था और तुम मेरी कविता हुआ करती थी ।


© NyN ..

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