...

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कैसी मजबूरी है
ये कैसी मजबूरी है की
रो भी नही सकता
तुझसे बिछड़कर अब
जी भी नही सकता

एक उम्र से जिसको
दिल मे बसाया है
किसी और का होने को
हो भी नही सकता

एक तेरे हाथो मे
बे मोल बिक गया हूँ मैं
ऐसा वैसा कोई मुझे
खरीद भी नही सकता

तुझसे जुदा होने पर
बरबस ही बरसती है
ईन आँखो की हकीकत
को छुपा भी नही सकता