...

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अनूठा
उल्टा नहीं सीधा है
मैं नहीं तू अनोखा है
जिसकी दुनिया
वो हम जैसे पथिक को
पथभ्रष्ट नहीं मानता
तू क्यों कहता है?
तू क्या सब जानता है?

© Bikramjit Sen