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देहाती नुक्कड़ ( हास्य व्यंग)...😁😁✍️✍️
मैं एक दिनु गओ ऐंठ में
सबजी लैवे पैंठ में
सब तरफ पडे आलू लग रए
मोय बिचबइया चालू लग रए
फिर मैंने देख कै दांव लओ
घूमि घूमि कै पैठ में भाव लओ
कोई कम न करै सब अडे रहे
हमहू झोला पकडे खडे रहे
अरे भइया निक सस्ती दै दै
इतनी महंगी दिल से कै दै
अब हमहू पसीना डार गये
हम घूमत- घूमत हार गये
कोई बेचै मैथी कोई धनिया
सब समझि रहे खुद कौ बनिया
लै लेउ आलू भिंडी गोबीए
हम नय लिंगे तू लोबीए
कब तै मेरी नाक में दम कर्रओ
नय रुपया नेकहू कम कर्रओ
फिर दूसरे के पास गये
हमि करकै पूरी आस गये
फिर टिके अपने सहारे तै
मैंने पूछी सबजी वारे तै
का बेचि रओ कहा देइगो
लुंगो सही रेट लगा देहगो
आलू बिस भिंडी दस दे रओ
तोरई लौकी पचास बस दे दओ
दो किलो आलु इक किलो भिंडी
कर तोरई लौकी आधी जन्दी
सब हिसाबु किताबु जोड़ि बता
जाय इक लौकियय छोडि बता
आलू,भिंडी,तोरई लौकी है
सब सबजी भईया सौ की है
उसनै उठा रख बांट लए
हमने दस तोउ काट लए
अब रुपया तौ पूरे दै देउ
आलू अच्छे-अच्छे छांट लए
देखि कै वाकी दिलदारी
अपनीउ जागी खुद्दारी
नैनउ मेरे फिर भर आये
दस रुपिया वापस कर आये
सब सबजी हमनै खरीद लई
तब अपने घर की सीध लई
© Shaayar Satya
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