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शौक...
मुझे भी पता है अंधेरों के बाद रोशनी आती है
इतना ही उपकार करने का शौक है
तो दो न मेरे अंधेरों में मेरा साथ
मुझे भी पता है समय सब घाव भर देता है
इतना ही उपकार करने का शौक है
तो उस समय में अकेला क्यों छोड़ देते हो ?
मुझे भी पता है हार जिदंगी का एक हिस्सा है
इतना उपकार करने का शौक है
तो उस समय कौन बोलता है
आपको मेरे से मुंह मोड़ने के लिए ?
मुझे भी पता है आज नहीं तो कल
इतना ही उपकार करने का शौक है
तो करो न मेरे आज को स्वीकार ?
मुझे भी पता है सब ठीक हो जाता है
इतना उपकार करने का शौक है
तो बतलाओ ना वो शुभ घड़ी ?
मुझे मुझसे ज्यादा जानने का दावा करते हो न
इतना उपकार करने का शौक भी है
तो बतलाओ ना
मुझे मुझसे कब मिलवाओगे ?
© HeerWrites
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