...

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अनसुने
कभी कभी बहुत कुछ कहने को दिल करता है।
लेकिन दिल कहता है,चुप रहो,उनको समझने दो।
लोग कहते हैं कि, दिल कि बात आंखों से बयां हो जाता है।
मैं इन्तजार करती रही,शायद आप भी समझ जाएंगे।
लेकिन आपने तो आंखों में देखा ही नहीं।
सपने साजाए बैठे थे हम, आपने समझा ही नहीं।
अब आपको गिला है मुझसे कि
"आप कुछ बताती ही नहीं!"
© pakhi sengupta