...

8 views

कहाँ है मंज़िल
जब थककर चूर होने लगे बदन,
धुँधली दिखाई देने लगे राहें भी,
साथ छोड़ने लगे उम्मीदें सारी,
अहसास होने लगें तन्हाई का,
तब याद करना तुम उन बातों को,
ज़माने की दी सारी ज़िल्लतों को,
नाकामयाबी के लगें काले धब्बें को,
अपनों को ग़ैर बनाने वालें लम्हों को,
खुशियों से टूट चुके रिश्ते नातों को,
तुमसे जुड़ी कई औरों की उम्मीदों को,
हौशला तोड़ चुकी अपनी हिम्मत को,

© feelmyrhymes {@S}