...

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तुम भी रंग बदलने वाले इक अदने मौसम निकले।
उम्मीदों ने जो कद नापा उससे थोड़े कम निकले।
तुम भी रंग बदलने वाले इक अदने मौसम निकले।।

सूरज की लाली से ले कर रंग सजाया होठों पर।
नाम तुम्हारा वेद ऋचा सा अक्सर आया होठों पर।।

कभी आंख से जो भी छलके दर्द छुपाकर पलकों में।
जीवन की मुस्कान बना कर तुम्हे सजाया होठों पर।

हमने सोचा मरहम होगे पर तुम दिल के गम निकले।
तुम भी रंग बदलने वाले इक अदने मौसम निकले।।

© Ananya Rai Parashar