...

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लोकतंत्र की हत्या....
सबसे बड़े लोकतंत्र में आज लोकतांत्रिक हवा कुछ ठंडी है,
लोकतंत्र आख़री सांस ले रहा है,
राजनीतिक समझ कुछ मंदी है।
शासन आजकल का याद हिटलर के दौर की दिला रहा है,
समय रहते होश में आओ, भारतीय लोकतंत्र कहां जा रहा है?
जिन लोकतंत्रिक संस्थानों पर गर्व की अनुभूति हुआ करती थी,
स्तंभ थे जो कभी मजबूत जनाधार के,
आज आती उनहीं गलियारों से दुर्गंध बहुत गंदी है।
जो ग़ुलामी करोगे तो राष्ट्रवादी का तम्गा दे दिया जाएगा,
जो आवाज़ उठोगे तो बेमौत मरोगे,
क्यों अंधे बने बैठे हैं हम सब?
क्या हम भी शासन करने वालों की तरह पाखंडी हैं?
कतरा कतरा कर जल रहा है लोकतंत्र आज,
तानाशाही की तरफ जा रही हर पगड़ंडी है,
सबसे बड़े लोकतंत्र में आज,
लोकतांत्रिक हवा कुछ ठंडी है।
#politics #disturbing
© Haniya kaur