...

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मेरी अधूरी मोहब्बत .... !!
यूं ही रिश्तों को ज्यादा अहमियत न दिया करो,
जिनको तुम्हारी कद्र नहीं उनके लिए अपनी
आंखों को नम न किया करो |

इस बेमतलब की दुनिया के लिए ,
अपना बेहिसाब सा इश्क़ न दिखाया करो |

अक्सर लोग पराया कर देते हैं अपना कह कर ,
ऐसे लोगो से इश्क में वादे ना किया करो |

जब टूटता है दिल तो देखने भी नहीं आते लोग ,
यूँ ही अपने दिल को हर किसी से ना लगाया करो |

यूँ ही अपनी चाहतों को अधुरा ना रखो ,
लेकिन अपनी चाहतों में चाहत हर किसी की भी ना रखो |

कैद में मिलेंगे तुम्हें यहाँ हर रिश्ते ,
इन कैद से भरे रिश्तों को
मोहब्बत के नाम से सजा के ना रखो |

यही मेरी अधूरी मोहब्बत है ,
जिसकी दास्तान भी अधूरी रही ,
अधूरी है कसमें , अधूरे है इश्क में वादे सभी मेरे |

पर जो अधूरा हो के भी मुकम्मल हुआ ,
वो ही इश्क है मेरा जो मुझे सिर्फ तुमसे हुआ ||




© adhoore khwab