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बहारों की महफिल
*बहारों की महफिल*

न जाओ उस राह पर, जिसकी न कोई मंजिल
बेइंतहा आरजूएं न रखो, होगा न कुछ हासिल

हर किसी की जिन्दगी, उसकी अपनी अमानत
मत होना कभी किसी की, दहलीज में दाखिल

दिखाना अपना हुनर, जहां को बेहतर बनाने में
तभी बन पाओगे तुम, सबकी दीद के काबिल

अपना किरदार तुम, उस मुकाम तक पहुंचाना
दूर कर सको जहां पर, हर किसी की मुश्किल

बेगरजी का अंदाज तुम, सदा अपनाए रखना
बहारों की तुम्हारे घर में, सजी रहेगी महफिल

*ॐ शांति*

*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान*
© Bk mukesh modi