...

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विराम
अक्सर तन्हाइयों में बैठ
लगता है सब से दूर हो जाऊं
अपनी चुलबुलाहट में विराम लगाऊं
और बस चुप हो जाऊं।

मैंने हमेशा सहयोग के लिए
अपना हाथ बढ़ाया
तू मुझपर एहसान ना कर
नित्य यही सुनने में आया।

वो कहते हैं की
मैंने जिंदगी में बहुत चोट खाई है
कभी पलट कर देखो
उस चोट की गूंज कहां तक आई है।

अब तो लगता है कि इस दुनिया के काबिल मैं नहीं
हर बार अपनी इच्छाओं को दबाऊं
आखिर किस किस की उम्मीदों पर
खरी उतर पाऊं।।।।।।।।।।।।।।।

23rd Jun 2018, 1:01am