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सुना था छत्तीस के छत्तीस गुण मिले थे...!!!
प्रेम मे स्पर्श लाजमी था..
तो उसके बेल्ट ने उसे छुआ...!!!
गालो पर लाली आई उसके
जब जब थप्पड़ उसके गालो पर जड़ा...!!!
साज श्रृंगार से भरी थी वो
जब जब उसने उसे छुआ..!!!
फर्क बस इतना था की
इस बार श्रृंगार जख्मो से हुआ...!!!
उन हाथो मे बड़ी ताकद् थी
जब जब वो उसपर उठे...!!!
मर्द था वो उसका..
मर्दानगी को उसने साबित किया...!!!
वो रखती थी मान उसका
शायद यही उसकी गलती थी ...!!!
औरत थी संस्कारो मे बंधी
शायद इसी की सजा उसको मिलती थी..!!!
उसके बिस्तर की गर्मी थी वो
जब वो ज्वालामुखी बन जाता था ...!!!
उस पति का होना मानों जैसे
उसे रोज ही दुत्कारता था...!!!
पति परमेश्वर था उसका
वो पत्नी उसका नित्य भोग थी..!!!
जो ना लगे भोग उसे तो..
गाली और मार से श्रापित होती थी...!!!!!
जिन हाथो से पहनी थी पायल कभी
आज उसे बेड़िया लगती थी...!!!
उसका_उसे बाहों मे भरना मानों
जैसे जंजीर जकड़ लेती थी...!!!
सात् फेरो का बंधन अब
काला पानी की सजा सा लगता है...!!!
कोई देदो मृत्युडंड_ कहती है भी
यु तिल तिल मरना अब
बोझ सा लगता है...!!!
____अनामिका
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
exceptions are there still in every four woman three suffers from domestic violence every day..
© A.subhash
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