...

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वह है विजय सबके लिए
जो लड़ गया खुद से, खुद के लिए
जो कह गया हर टीस खुद से, अपने मन की
वह है विजय सब से,सबके लिए
जो समझा लिया क्या है गलत, क्या है सही
वह है विजय सबसे,सबके लिए
जिसकी देह का हर अंश कटिबद्ध हो अनवरत,
बस सीखने को
जो आबद्ध न रहा, निर्बाध सा बहा
संतुष्ट ना रहा सीखने से
वह चल रहा अविराम पथ पर सीखने को
जो बहका नहीं इस मोह माया जाल में
वह है विजय सबसे,सबके लिए।

Inspired by राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर


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