...

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अच्छा लगता है......
तेरे कंधे पर सर रख,
सोना अच्छा लगता है...
अनजान बन कर गलतियां करना
अच्छा लगता है.....
तेरा मुझ पर चीखना, चिल्ल्लना,
और फिर तेरा प्यार से समझाना अच्छा लगता है
लिखना तो बहुत कुछ चाहता हूं मैं....
बस रुक जाता हूं अक्सर.......
ऐसा नहीं कि.... स्याही की कमी है....
या इन हाथों में नमी है........
बस इतना है कि......
कभी कभी लिखना छोड़
तेरे बारे में सोचना अच्छा लगता है....
और क्या कहूं.
इस दुनिया के नए वातावरण में
तुझे हर जगह ढूंढना अच्छा लगता है ....
हर तरफ वहीं स्वार्थीपन और मतलबपन
की भावना को देखना और
तेरी समझाई गई बातो को याद कर के
मुस्कुराना अच्छा लगता है.....
इसलिए तेरे साथ बिताए हुए उन हर लम्हों में,
में कैद होना चाहता हूं....
ना की उन लम्हों को बस समेट कर रखना चाहता हूं....
सच कहूं तेरी जगह कोई नहीं ले सकता यार.....
इसलिए कह रहा था ....
लिखना तो बहुत कुछ चाहता हूं.......
पर कभी कभी लिखना छोड़
तेरे बारे में सोचना अच्छा लगता है......

© Mγѕτєяιουѕ ᴡʀɪᴛᴇR✍️
@Ashishsingh #Ashishsingh #mysteriouswriter