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एक शख्स
मुझे बस एक शख्स याद आता है ,
न जाने क्यों एक वो ही मुझे भाता है।।
उसकी आंखें चांद से भी खूबसूरत लगता है ,
मुझे बस एक वो ही खुदा की मूरत लगता हैं।।
है तो वो पागल नासमझ बड़ा पर,
मुझे तो बस एक वो समझदार लगता है।।
मुझे बस एक शख्स याद आता है ,
न जाने क्यों एक वो ही मुझे भाता है।।
उसकी आखों में मानो एक नशा सा छा जाता है ,
इस जमाने में एक वो ही हमें हमारा लगता हैं ।।
मतलबी सी इस दौर में कौन किसके जीता है,
मुझे तो बस एक वो अपना लगता हैं।।
वो अगर साथ रहे तो मुझे कोई गम नही होता है,
नजाने कैसे वो मेरी खुशी का बजह बन जाता है।।
© Namrata Mahato
न जाने क्यों एक वो ही मुझे भाता है।।
उसकी आंखें चांद से भी खूबसूरत लगता है ,
मुझे बस एक वो ही खुदा की मूरत लगता हैं।।
है तो वो पागल नासमझ बड़ा पर,
मुझे तो बस एक वो समझदार लगता है।।
मुझे बस एक शख्स याद आता है ,
न जाने क्यों एक वो ही मुझे भाता है।।
उसकी आखों में मानो एक नशा सा छा जाता है ,
इस जमाने में एक वो ही हमें हमारा लगता हैं ।।
मतलबी सी इस दौर में कौन किसके जीता है,
मुझे तो बस एक वो अपना लगता हैं।।
वो अगर साथ रहे तो मुझे कोई गम नही होता है,
नजाने कैसे वो मेरी खुशी का बजह बन जाता है।।
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