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"जज़्बा"
इश्क़ करने की कोई
उम्र नहीं होती है!!
न सहर न शब होता है
न कोई मुख्तलिफ लम्हा
ही होता है!!
न कोई जुस्तजू न ख्वाहिश
लिए ख्वाब बयां होता है!!
ये तो वो जज़्बा है साहब
जो फकत़ निगाहों ही निगाहों
से बयां होता है!!
जिसने दरिया-ए-इश्क़ में
गोता लगाया एक वही रूबरू
हुआ इस जज्बे से!!
वरना तो हर शख्स इस
शय से अनजान ही होता है!!
© Deepa🌿💙
उम्र नहीं होती है!!
न सहर न शब होता है
न कोई मुख्तलिफ लम्हा
ही होता है!!
न कोई जुस्तजू न ख्वाहिश
लिए ख्वाब बयां होता है!!
ये तो वो जज़्बा है साहब
जो फकत़ निगाहों ही निगाहों
से बयां होता है!!
जिसने दरिया-ए-इश्क़ में
गोता लगाया एक वही रूबरू
हुआ इस जज्बे से!!
वरना तो हर शख्स इस
शय से अनजान ही होता है!!
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