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सनातन के अनुयायी
श्रीराम प्रभु का आदर्श हमारे,
जीवन का आदर्श रहे,
हम बनें तपस्वी भरत सरिस,
सेवाभाव सहर्ष रहे।
श्री राम भक्त हों लक्ष्मण जैसे,
जिह्वा खींच लें निंदक की,
अथवा हम बने शत्रुहन से,
दुर्गति की जिसने मंथरा की।
बजरंग बली सा बल हममें,
इस जन्म में शायद ही आए,
पर श्रीराम कार्य में यह काया,
गिलहरी बनकर दिखलाए।
अन्याय का साथ नहीं दें हम,
विभीषण से निर्भीक बनें,
सुग्रीव सरिस बाली-रावण से,
भिड़ जाएँ न तनिक डरें।
माता सीता-अनुसुइया की,
हम अधुनातन परछाईं हों,
लव-कुश सा होवे तेज प्रबल,
केवट-निषाद से भाई हों।
हम रामायण-गीता गाएँ,
सनातन के अनुयायी हों,
बलवान हों प्रज्ञावान बनें,
निर्मूल सभी आततायी हों।
©drajaysharmayayaver
© drajaysharma_yayaver
जीवन का आदर्श रहे,
हम बनें तपस्वी भरत सरिस,
सेवाभाव सहर्ष रहे।
श्री राम भक्त हों लक्ष्मण जैसे,
जिह्वा खींच लें निंदक की,
अथवा हम बने शत्रुहन से,
दुर्गति की जिसने मंथरा की।
बजरंग बली सा बल हममें,
इस जन्म में शायद ही आए,
पर श्रीराम कार्य में यह काया,
गिलहरी बनकर दिखलाए।
अन्याय का साथ नहीं दें हम,
विभीषण से निर्भीक बनें,
सुग्रीव सरिस बाली-रावण से,
भिड़ जाएँ न तनिक डरें।
माता सीता-अनुसुइया की,
हम अधुनातन परछाईं हों,
लव-कुश सा होवे तेज प्रबल,
केवट-निषाद से भाई हों।
हम रामायण-गीता गाएँ,
सनातन के अनुयायी हों,
बलवान हों प्रज्ञावान बनें,
निर्मूल सभी आततायी हों।
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