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मैं चलना चाहती हूं तुम्हारे साथ..!!❤️
मैं चलना चाहती हूं तुम्हारे साथ
कुछ इस तरह की अगर गिरूं
तो उठने की जरूरत ही ना हो !
मैं खिलना चाहती हूं तुम्हारी,
खुशबू से कुछ इस तरह !
कि मैं मुरझाऊं तो इत्र की जरूरत ही ना हो,
मैं सजना चाहती हूं तुम्हारे उन
अल्फाजों से इस तरह,
कि मैं पहनूं तो गहनों की जरूरत ही ना हो !
मैं बंधना चाहती हूं
तुम्हारी आत्मा से कुछ इस तरह
कि जिस्मों को बांधने की जरूरत ही ना हो !!
#मेरी_नज़्म✍️❤️
© preet_90aii💞
कुछ इस तरह की अगर गिरूं
तो उठने की जरूरत ही ना हो !
मैं खिलना चाहती हूं तुम्हारी,
खुशबू से कुछ इस तरह !
कि मैं मुरझाऊं तो इत्र की जरूरत ही ना हो,
मैं सजना चाहती हूं तुम्हारे उन
अल्फाजों से इस तरह,
कि मैं पहनूं तो गहनों की जरूरत ही ना हो !
मैं बंधना चाहती हूं
तुम्हारी आत्मा से कुछ इस तरह
कि जिस्मों को बांधने की जरूरत ही ना हो !!
#मेरी_नज़्म✍️❤️
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