...

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कर्ज भी अच्छा है!
कोख में मां के हजारों ख्वाहिशें पल रही हैं,
मन में जाने कैसी-कैसी घड़तें चल रही हैं,
बच्चा जन्मने को असीमित दर्द भी अच्छा है।
• अगर अपनों का है तो कर्ज भी अच्छा है!
दर्द छुपा के मुस्कुराना एक दूजे के लिए,
घर में क्या सोचाना किसने कितने एहसान किए,
बिन मुनाफा जिंदगी भर निभाया फर्ज भी अच्छा है।
• अगर अपनों का है तो कर्ज भी अच्छा है!
पिता ने काम किया देह तोड़ मेरे लिए,
मां ने अपना चैन-आराम खोया तेरे लिए,
औलाद खुश रहे बस, मुझे ये हर्ज भी अच्छा है।
• अगर अपनों का है तो कर्ज भी अच्छा है!
© Dharminder Dhiman