...

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मेरी नज़र से देखो न
आखिर क्यूँ खामोश है तेरी निगाह मैं क्या सोचूँ !
चल रहा है क्या दिल में तेरे ,तह तक कैसे पहुँचू !!

बयां कीजिए रंज-औ-ग़म कि थाह अनुमान कर लें !
मुस्कुरा के , पल में ही मुट्ठी में आसमां कर लें !!

आपकी नज़रों में आता नहीं खुशनुमा नज़ारा !
मेरी नज़र से देखो न , मैं हूँ प्रियतम तुम्हारा !!

देखिए फागुनी रंग बिखरे हैं इन फिज़ाओं में !
सुनिए प्रीत की ही गूँज हैं यहाँ इन ऋचाओं में !!

नज़रिये में ही , होती है भावी राह जीवन की !
मेरी चाह में मिलेगी राह आगम-औ-निगम की !!

© MaheshKumar Sharma
11/3/2023
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