...

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आवर्तकाल की मेरी इच्छाएं
#एकस्वरकविता

आग में जलती हूँ,
आँसूओं में बहती हूँ,
फिर भी देखो,
आसमानो की ओर उड़ती हूँ,
आहट में रोती हूँ,
आबादी में खोती हूँ,
फिर भी देखो,
सपनों को कहा छोड़ती हूँ,
आराम की तलाश में हूँ,
अधिकारो से लड़ती हूँ,
फ़िर भी देखो,
अपने मन की ही सुनती हूँ,
आदिमानव की राह पर चलती हूँ,
आदर्श को चुनती हूँ,
फिर भी देखो,
आस्था की खोज में हूँ,
आभा की मिट्टी से लदी हूँ,
आडंबर से मुक्त हूँ,
फिर भी देखो,
आत्म प्रेम का संकल्प करती हूँ
© --Amrita