...

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तुमसे ही
देखते है हम तुम्हे अपने मन की आंखों से,
कैसे हो ये सब जानते है तुम्हारी बातों से।
मेरी आँखों का यूँ तरसना तुम्हारे राह तकते,
कदमों का यूँ मचलना साथ तुम्हारे चलने को।
हरपल याद आती तुम्हारी,रहती हो तुम विचारों में,
उन विचारों के ये हसीन पल अब हैं मेरे जीवन मे।
यह सम्मान,पहचान जो स्थापित हुई तुम्हारी ही वजह से,
इसे बनाये रखने की ज़िद होगी मेरी वजह से।
दिल कुछ इस तरह जीना चाहता है तुमसे जुड़ के,
मेरा और तेरा नाम साथ पुकारे सब मिल के।
संजीव बल्लाल १४/४/२०२४© BALLAL S