खो गए हो कहाँ आप.....
खो गए हो कहाँ आप ,मैं ढूंढ रहा हूँ कब से,
न ख़त,न ख़बर,न ही कोई संदेशा आया है
बीत गए दिन कई, मिलने की आस लिए,
यादों की आहट से आंखों में समंदर भर आया है।
ढ़लते सूरज की मद्धम किरणें,बेचैन मुझे कर जाती हैं
घर के हर कोने में...
न ख़त,न ख़बर,न ही कोई संदेशा आया है
बीत गए दिन कई, मिलने की आस लिए,
यादों की आहट से आंखों में समंदर भर आया है।
ढ़लते सूरज की मद्धम किरणें,बेचैन मुझे कर जाती हैं
घर के हर कोने में...