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एक असम्भव प्रेम गाथा की अनन्त से अन्त का सफर।।
एक असम्भव प्रेम गाथा क्या है,
आईए जानते हैं कि क्या कहना चाहती ये,
यह प्रकृति की उजड़ती दास्तान,
जहां योनि जन्म से अन्त तक का सफर तय करती।
और यह सफर आत्मा का होता,
माटी के घड़े के द्वारा वह अपने अस्तित्व को पाने के टूक टूक गिरती, तड़प तड़प राहे ए गम गीत आलम हुजूर चाए की चुस्की ले ले वह अस्तित्व की आसीमता की ओर अग्रसर बढ़ने का प्रयास करती रहती मगर वो अनजान ए रूह कोड़ है जो इच्छा के वेष में श्यामसुंदर को भूलकर तथा प्रेम की ज्योति को अपरज्वलित होने से भी नहीं घबराती क्योंकि वो कर्मकुभागिन होकर मया-मोह में पड़कर अपना कर्तव्य सत्व गुण कर्म स्वभाव का पालन ना करके वह अन्त में श्रीकृष्ण मुख्य न्यायाधीश जस्टिस गांगुली महान के दरबार में एक गैय स्वारूप अपना सथान गृहण उनकी गे स्तुति के रूप में खुद को इच्छा के चक्र से मुक्त कर वो एक वैशया होने के बाद अपना कर्तव्य सत्व गुण कर्म स्वभाव समसत्रम् रूपम् त्याग कर वह एक गै अस्तित्व दायिनी अस्तित्वनिका के नाम से प्रसिद्ध होकर गाथा के उस मंदिर में श्री निवास संग दर्जा प्राप्त कर वो बैकुनडी रीढ़ा बनकर श्रीकृष्णनम् कालचक्रम् खंडिता भवतानि यद्यपि श्री राधा रानी मंदिर प्राप्त भवन्तु।।
#सत्य
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