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इंसानियत आज भी जिंदा है "शायद"
इंसानियत आज भी जिंदा है "शायद",
जो लोग आज भी पूछते हैं,
"कैसे हो?"
पूछते है,
"और बताओ, क्या हाल है?"
मन तो बड़ा करता है, सब कुछ बता देने को,
अकेला जो हूं कबसे।
फिर भी चुप रह जाता हूं,
मुस्कुराके, जवाब में उनके।
बस पल भर की तो बात है,
यहां बैठे हैं क्यूंकि धूप बड़ी तेज है बाहर।
चाउ आने तो दो,
नजर फेर के ये भी चले जायेंगे।
इंसानियत आज भी जिंदा है, "शायद"।
© amitmsra
जो लोग आज भी पूछते हैं,
"कैसे हो?"
पूछते है,
"और बताओ, क्या हाल है?"
मन तो बड़ा करता है, सब कुछ बता देने को,
अकेला जो हूं कबसे।
फिर भी चुप रह जाता हूं,
मुस्कुराके, जवाब में उनके।
बस पल भर की तो बात है,
यहां बैठे हैं क्यूंकि धूप बड़ी तेज है बाहर।
चाउ आने तो दो,
नजर फेर के ये भी चले जायेंगे।
इंसानियत आज भी जिंदा है, "शायद"।
© amitmsra
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