...

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##पहाड़ कों हुआ अहम् तब हवा ने सिखाया सबक##⛰️
"ऐ हवा मैं हूं, तेरे सामने खड़ा,
हिम्मत है, तो आ मेरें पास जरा,
और मुझसे टकरा तू जरा,
तेरी औकात ही क्या है,जो तू मुझसे,
टकरायेगी जरा,
तेरा(हवा) न कोई रूप हैं,
और ना ही रंग हैं,तू क्या हीं,
टकरायेगी मुझसे जरा,
तब हवा मुस्कराते हुए बोली,
मेरें प्यारे -दुलारे पहाड़ों -के -पहाड़,
सुन- सको तो -सुन मेरें को,
मैं आ गईं अपनी औकात पे जरा,
तुझे और तेरे घमंड को उखाड़ फेंकूंगी जरा,
तूने क्या बोला मेरा कोई रूप नहीं रंग नहीं,
आंधी का बवंडर बन आ गईं तेरे पास जरा,
तुझे (पहाड़)तेरे ही जड़ से उखाड़ फेंकूंगी जरा,
तेरी क्या औकात ही हैं, मेरे सामने बता तू जरा,
पहाड़ को एहसास हुआ अपनी गलती का जरा,
और हवा से बोला तू मुझे थोड़ा सा माफ कर दें जरा,
तब हवा बोली कोई न चल आ जा हम दोनों बन जाते हैं,
दोस्त जरा और दुनिया देखेंगे एक -दूसरें के साथ जरा!!!!""🌄

-सृष्टि