...

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साए और उम्मीद का प्रणय
साया एक चलता रहा जीवन भर
मैं भी उसके साथ-साथ चलता रहा
एक उम्मीद भी पैदा हुई थी बहुत वक्त पहले

दो प्रेमी हो सकते थे
शायद यह दोनों
मैं अकेला था

मैं इनका भरण-पोषण नहीं कर पाया

भूख और दारिद्रय में जीने से
तंग आकर दोनों ने विवाह कर लिया
गृहस्थ साया और गृहस्थ उम्मीद
स्व-यापन में उलझ गए

मैंने उम्मीद का कन्यादान किया था

© निमग्न