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तुम्हें चाहने का गुनाह हुआ मुझसे......
दो पल के लिए ही सही बस इतना सा कर्म कर दो
तुम मेरा हाथ पकड़ लो या दूर भ्रम कर दो
दरिया ए मोहब्बत मे मेरी लाश सी तैरती जिंदगी
कश्ती सी तेरी बाहों को कुछ तो नर्म कर दो
दो पल के लिए ही सही

देख जिंदगी मुझे हश्र तलक ले आई है
देख मोहब्बत तेरी मुझे तेरे दर तलक ले आई है
मारे इश्क मे गरीब को बाहों का सहारा दे दे
जीने की चाह मुझे बड़ी दूर तलक ले आई है
सुन लो फरियाद मेरी या हवाले अपने मर्म कर दो
दो पल के लिए ही सही

जानता हूं इश्क मेरा बस तेरी बंदगी के काबिल है
तेरे जिस्म की ख्वाइश नही तेरी रूह मेरी मंजिल है
हां तुम्हे चाहने का गुनाह मुझसे हुआ है।
कदमों मे जगह देके माफ मेरे जुर्म कर दो
दो पल के लिए ही सही बस इतना ही कर्म कर दो
योगेश योगी ✍️✍️✍️✍️✍️

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