...

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इंसान का जीवन
इंसान तस्वुर के आलम में सोचता है खुदको
कुछ ना कुछ खुदी का अगर होता है जब तो
उसी का दिखावा करता है सबको
कभी अभिनेता कभी लेखक कभी वैज्ञानिक को
तसव्वुर के आलम में सोचता खुदको
इसी में इंसान जीता जाता है खुदको
एक ही तरफ दौड़ रहे है सभी तो
पैसों कि रेस कहते है उसे अभी तो
बस अंत हो जाता है इसी उम्मीद में
मूझे और अमीर होना है अभी तो
मूझे वो और खरीद कर दिखाना है
यहाँ चीजों को जोड़ जोड़ कर खेल रहे है सभी तो
मूझे और चीजे जोड़कर दिखाना है अभी तो
असल में चीजों का दिखावा कर कर जी रहे है सभी तो
बस इतनी सी ख़ुशी है यहाँ सभी को
मेरे पास ये चीज है ये मैंने किया
बस इस दिखावे कि खुशी है सभी को
ना जिया खुद के हिसाब से कभी तो
मर जाता है इंसान रह जाता है यहाँ सभी तो

© pawan kumar saini