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दर्द💔
ज़ुवा पर कड़वाहट है मेरी, इसलिए ख़ामोशी का लबादा ओढ़ रखा है।
तूफ़ान है दिलो दिमाग पर ,रिश्तों को उसी की ओट में जोड़ रखा है।
जितना मुमकिन था उनके लिए, लोगों ने उस हद तक मुझे तोड़ रखा है।
जिस जिस के पास दवा है ,मेरे मर्ज की उस उस ने मुझसे मुंह मोड़ रखा है।
फना कर मुझे या कर मुकम्मल, हुस्न ऐ मुस्तकबिल तेरे हाथो में छोड़ रखा है।
🍁absar aur ashk🍁
🍁pratibha
तूफ़ान है दिलो दिमाग पर ,रिश्तों को उसी की ओट में जोड़ रखा है।
जितना मुमकिन था उनके लिए, लोगों ने उस हद तक मुझे तोड़ रखा है।
जिस जिस के पास दवा है ,मेरे मर्ज की उस उस ने मुझसे मुंह मोड़ रखा है।
फना कर मुझे या कर मुकम्मल, हुस्न ऐ मुस्तकबिल तेरे हाथो में छोड़ रखा है।
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