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तुम्हारी याद में।
तुम्हारी याद में।
तुमको
तो ख़बर ही नहीं।
तुम्हारे इश्क़ में,
हम रोये हैं कितना।
अब क्या ख़ता सुनाए तुमको,
ख़ुद से ही हैं ,अब तो हम ख़फ़ा।
अब तो आखों मे
कोई आंसू भी नहीं रहा।
हम रोए जो हैं इतना।
अब आदत हो गई है।
चोट पर चोट सहने की।
इस दर्द को भी होने दो
सीने में ये दर्द होए जितना
रात भर ख्यालों मे
तुम्हारे ही नींद नहीं आती हैं,
तुम्हें तो कोई खबर ही नहीं,
हम जागे सोये कितना।
तुम्हारे इश्क़ में,
हम रूठे है खुद से इतना।
कोई मनाए तो भी
अब अहसास नही होता हैं।
चाहें कोई मनाए हम को
जितना मनाए उतना।
तुम्हारी कमीं अब भी
बहोत महसूस होती है।
तुम्हारी याद, याद मुझको
अब भी बहोत आती है।
आँखों में आँसू देकर,
दर्द को बढ़ा कर चली जाती है।
ग़मों मे अब भी मुस्करा लेता हू।
तुम्हारा नाम लबों पे रख कर,
अब भी तन्हायी में गुनगुना लेता हूं।
तुम्हारे जाने के बाद
अब भी मुझमें कायम है।
इस दिल में तुम्हारी चाहत।
तुम्हारी बात, तुम्हारी याद ,
तुम्हारा साथ, अब भी मुझ में
पहले सा ज़िंदा है।
चाहें तो दिल चीर देख लो
मेरे हम राही साजना।
© KRISHAN ☑️
तुमको
तो ख़बर ही नहीं।
तुम्हारे इश्क़ में,
हम रोये हैं कितना।
अब क्या ख़ता सुनाए तुमको,
ख़ुद से ही हैं ,अब तो हम ख़फ़ा।
अब तो आखों मे
कोई आंसू भी नहीं रहा।
हम रोए जो हैं इतना।
अब आदत हो गई है।
चोट पर चोट सहने की।
इस दर्द को भी होने दो
सीने में ये दर्द होए जितना
रात भर ख्यालों मे
तुम्हारे ही नींद नहीं आती हैं,
तुम्हें तो कोई खबर ही नहीं,
हम जागे सोये कितना।
तुम्हारे इश्क़ में,
हम रूठे है खुद से इतना।
कोई मनाए तो भी
अब अहसास नही होता हैं।
चाहें कोई मनाए हम को
जितना मनाए उतना।
तुम्हारी कमीं अब भी
बहोत महसूस होती है।
तुम्हारी याद, याद मुझको
अब भी बहोत आती है।
आँखों में आँसू देकर,
दर्द को बढ़ा कर चली जाती है।
ग़मों मे अब भी मुस्करा लेता हू।
तुम्हारा नाम लबों पे रख कर,
अब भी तन्हायी में गुनगुना लेता हूं।
तुम्हारे जाने के बाद
अब भी मुझमें कायम है।
इस दिल में तुम्हारी चाहत।
तुम्हारी बात, तुम्हारी याद ,
तुम्हारा साथ, अब भी मुझ में
पहले सा ज़िंदा है।
चाहें तो दिल चीर देख लो
मेरे हम राही साजना।
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