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ख्वाबों का कारवाँ ✍️✍️✍️
यूँ ख़्वाबों का कारवाँ दिल की गलियों से गुजरता रहा

मै खुद ही खुद में खुद से बेपरवाह हुआ उतरता रहा

मिले कुछ सवालों के जवाब तो कुछ से खुद मुकरता रहा

यूँ ख़्वाबों का कारवाँ दिल की गलियों से गुजरता रहा

हर तमन्ना लाख कोशिश के बाद भी दिल में रह गयी

जाते जाते मुझसे अनलकी होने वाली बात कह गयी

इस बात का बवंडर मेरे मन में रह रह कर उकरता रहा

यूँ ख़्वाबों का कारवाँ दिल की गलियों से गुजरता रहा

अब ऐसा भी नहीं है की मेरे जीवन में कुछ है ही नहीं

हर तमन्ना से मुलाक़ात करते हुए सफर तय किया है

जो मिला उसको करीने से सजाकर समेटता चला गया

जो अपना नहीं वो खुद ब खुद हथेली से बिखरता रहा

यूँ ख़्वाबों का कारवाँ दिल की गलियों से गुजरता रहा

कोई कोर कसर बाकी न रखी हर दौर में मुस्कुराने की

ये जरूर सच है की कोशिश नहीं की सबसे जताने की

सुबह के उगते हुए सूरज के जैसे आसमान में उभरता गया

यूँ ख़्वाबों का कारवाँ दिल की गलियों से गुजरता रहा

© VIKSMARTY _VIKAS✍🏻✍🏻✍🏻