...

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kaash
काश मुक्कमल हमारा भी इश्क होता,साथ रोते,साथ हस्ते ।
दूसरो के लिए नही,हम एक दूसरे के लिए जिते।
क्या कमी रह गई थी हमारे इश्क मे,जो ये हम जान ना पाये।
सिर्फ जिस्म की चाह थी तुझे,हम ये कभी समझ ही ना पाये।
तेरे  इश्क मे कुछ इस तरह बहक गए थे,
की तू जिस्म छू कर चला गया और हम ना जाने कहा खो बेठे थे।
हम आज तक समझ ना पाये,कई हम तुम्हे ना समझ पाये,
या तुम हमे ना समझ पाये।
ऐसी क्या खता हुई थी हमसे,की तुम दोस्ती तक ना निभा पाये।
अरे इश्क छोड़ो,तुम दोस्ती तो निभा लेते।
अगर कोई खता हुई थी हमसे,तो हमे बता देते।
हम सुलझा लेते उन परेशानियो को,
यू रिश्ते उलझाने की क्या जरूरत थी।
इश्क ना था तो ना सही,जिस्म छुने की क्या जरूरत थी।
तुम छोड़कर जा चुके हो हमे,हम समझ चुके हे।
वापिस मत आना ,हम आगे निकल चुके है।


© Anupriya sharma