...

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दिले आस्माँ
तारों भरा आस्माँ कुछ कुछ दिल जैसा ही तो है , कभी कोई विचार चमकता है तो कभी कोई विचार जगमगाता है ।।
कभी स्थिर आस्माँ जिसमें विचारों की उथल पुथल नहीं होती ,
तो कभी बादलों में चमकती बिजली नहीं होती।
कभी गुमसुम सा रैहता है तो कभी परमाणु बन जाता है,
कभी बारिशों में सुखा तो कभी धूप में भीग जाता है।
कुछ कुछ दिल सा ही तो है,
या दिल आस्माँ जैसा ही तो है।।


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