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वो
वो आहट शोख बहारो की
वो चाहत चांद_सितारों की
वो पूजा हर मन_मन्दीर की
वो मन्नत गम के मारो की।
वो जिस्म नहीं वो धड़कन है
वो दीप नहीं वो ज्योती है
मेरे जीवन के सागर का
वो सबसे उज्जवल मोती है।
वो फूल नहीं वो खुशबू है
वो वृक्ष नहीं वो साया है
वो दर्द नहीं वो नगमां है
जो मेरे दील ने गाया है।
इक रंग है वो, इक नूर है वो
नजदिक है फिर भी दूर है वो
महसूस तो कर सकती हू मगर
अहसास का इक दस्तूर है वो।।
वो चाहत चांद_सितारों की
वो पूजा हर मन_मन्दीर की
वो मन्नत गम के मारो की।
वो जिस्म नहीं वो धड़कन है
वो दीप नहीं वो ज्योती है
मेरे जीवन के सागर का
वो सबसे उज्जवल मोती है।
वो फूल नहीं वो खुशबू है
वो वृक्ष नहीं वो साया है
वो दर्द नहीं वो नगमां है
जो मेरे दील ने गाया है।
इक रंग है वो, इक नूर है वो
नजदिक है फिर भी दूर है वो
महसूस तो कर सकती हू मगर
अहसास का इक दस्तूर है वो।।
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