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कहां कहां से गुजर चुका हूं 🌺
इतनी छोटी उम्र में...
कहां कहां से गुजर चुका हूं
दूसरों की खुशी की खातिर
खुद को दो चार कर चुका हूं
प्यार इकरार इजहार धोखा...
इन सब गलियों से पार होने से..
लगता है...थोड़ा सा मर चुका हूं
लोगों के बदलते रवैए को
समझने का हुनर सीख चुका हूं
कुछ लोगों को खोया है
कुछ के हाथों से खो चुका हूं
अब हैरत नहीं होती मुझे
मुझे दुनियां के तमाशों से...
खरीद-दार... नहीं हूं
मगर बाजार से गुजर चुका हूं
© Tarun.k.pathak
कहां कहां से गुजर चुका हूं
दूसरों की खुशी की खातिर
खुद को दो चार कर चुका हूं
प्यार इकरार इजहार धोखा...
इन सब गलियों से पार होने से..
लगता है...थोड़ा सा मर चुका हूं
लोगों के बदलते रवैए को
समझने का हुनर सीख चुका हूं
कुछ लोगों को खोया है
कुछ के हाथों से खो चुका हूं
अब हैरत नहीं होती मुझे
मुझे दुनियां के तमाशों से...
खरीद-दार... नहीं हूं
मगर बाजार से गुजर चुका हूं
© Tarun.k.pathak
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