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जिंदगी
मैं जिंदगी का हाथ थाम चलता गया।
हर फिक्र से मुख मोडता गया।
बर्बादियों में शोक मानना फिज़ूल है।
मैंने जशन में खुद को शरीक करता गया।
जो मिला वो तकदीर में था
जो खोया वो ख्वाहिश थी।
न महसूस हो खुशी, न गम हो दुख का
मजबूत इस कदर खुद को बनाता गया।
© All Rights Reserved
हर फिक्र से मुख मोडता गया।
बर्बादियों में शोक मानना फिज़ूल है।
मैंने जशन में खुद को शरीक करता गया।
जो मिला वो तकदीर में था
जो खोया वो ख्वाहिश थी।
न महसूस हो खुशी, न गम हो दुख का
मजबूत इस कदर खुद को बनाता गया।
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