...

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बढ़ते क़दम
यूँ तासीर रखियेगा क़िरदार में,
महकता बदन नहीं किरदार हो,
यूँ हौशला रखियेगा ख़ुद ही पर,
भीड़ में होकर भी भीड़ न बनों,
यूँ क़दम बढ़ाना मंज़िल की ओर,
मंज़िल ख़ुद पता बताए आकर,
यूँ चाहत रखियेगा कामयाबी की,
हर रास्ता ही मंज़िल तक जाए,
यूँ करना मेहनत दिन रात तुम,
तक़दीर भी मुरीद बन जाए,

© feelmyrhymes {@S}