...

4 views

ये क्या हो रहा।
#WhisperingNature
मैं बैठी हूँ बंद चार दिवारो के कमरे में
थोड़ा रोई थोड़ा खोई
झांक रही हूँ बाहर के नजरों को
जो देख रहे है मेरे बहते
इन आँसूओं के धारा को
मैं देख रही उन पेड़ों को
जो धीमे धीमे आवाज में पेगाम दे रही
है हवाओं को और हवाए पोहचा रही
उन दूर खड़े किनारों को
और किनारे पोहचा रही
नदियों के धाराओं को
अरे चुपके से सुन लिया
चिड़ियों के परिवारों ने
और कह दिया मजनु सी उन अम्बर को
और धीरे धीरे फेल गई
आसपास के सभी बाहारो में
और खुल गया राज़ पेगाम का
मेरे कमरे इन चार दीवारों
वो कर रहे थे बात मेरे ही बारे में
मैं रोते रोते हँस पड़ी देख
शरमाते इन नजरों को
और मेरे साथ खिल उठा ये समा
हँसी के ढकरो से।