...

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एक रिश्ता ऐसा भी.....
तुमसे एक ऐसा रिश्ता है,
जो दोस्ती से बड़कर,
पर मोहब्बत से कम है,
मिलना हमारा एक इत्तेफाक था,
पर दोनों की कहानी में एक समान राज़ था,
दोनों के रास्ते जुदा थे,
पर मंज़िल एक ही थी,
जब किसीने मेरा साथ न दिया,
तब वो हमेशा मेरे साथ था,
वो मेरे आस- पास तो नहीं,
मगर, महसूस करू तो वो हमेशा मेरे करीब था,
वो मेरा आशिक़ तो नहीं,
मगर, मेरा रकीब था,
एक ऐसा खास सा एहसास था,
जैसा, मेरे बिन बोले,
वो सब समझता था,
वैसे मिलने को तो मिलेंगे हज़ारों,
पर तुम जैसा वाकई कहीं नहीं देखा,
आज दिल की बात अल्फाज़ों में आ ही गई,
और कशिश ने ये कविता लिख ही दी......

© Kashish Chandnani