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चांद सी उल्फत में
चांदनी का मसीहा है ख्वाहिशों की दुनिया में खुशनसीब उनका जिंदगी जीना है आंधियां गुस्ताखियां तारों की उलझती शाम की शहादत उसका भी इश्क में क्या खूब सुंदर सा महीना है बरसात उलझने कि वह बात उलझन है वह चांद की महबूब मोहर्रम ताजगी का जिंदगी जीना है शराफत ए नादानियां की शोहरतें मुकाबले ताजगी खूब कमसिन सा वह महीना है जिंदगी शराफत एम ए जिंदगी जीना है मोहम्मद आफताब की की रूद्र किताब की चांद चाहतों की मूल कातिले जिंदगी
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