ज़िंदगी।
बड़े ख़्वाब दिखा रही हैं ज़िंदगी,
तू भी मज़े ले रही हैं ज़िंदगी!
मैं रोज़ संवार लेता हूं ज़ख्मों को,
रोज़ नए घाव दे रही हैं ज़िंदगी।
हर गम को एक प्याला शाम का,
हर सुबह जिम्मेदारियां दे रही हैं ज़िंदगी।
एक दरिया आसुओं का...
तू भी मज़े ले रही हैं ज़िंदगी!
मैं रोज़ संवार लेता हूं ज़ख्मों को,
रोज़ नए घाव दे रही हैं ज़िंदगी।
हर गम को एक प्याला शाम का,
हर सुबह जिम्मेदारियां दे रही हैं ज़िंदगी।
एक दरिया आसुओं का...