...

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🌺 तू सपने में भी न आया कर!💔
माना दोस्त,नाराज है मुझसे बेहद,
तो सपने में मिलने भी न आया कर,

न ले तू मेरी गुस्ताखियां ज़ेहन पर,
छोटी सी है ज़िंदगी,यूं न ज़ाया कर,

मेरा चेहरा झुलस रहा है धुपहरी में,
अपने हाथों से तो थोड़ी छाया कर,

संभाल कर रख माफी मेरे खातिर,
मुझ नादान पर तू तरस खाया कर,

पेशानी मेरी मुंतज़िर है तेरे लबों की,
मुझ पर इतना ज़ुल्म न तू ढाया कर,

तू और हसीन हो जाता है कसम से,
तबीयत से तू रूमानी गीत गाया कर,

गुलाब देना भूल जाता है तू अक्सर,
जोशीला इक बोसा तो साथ लाया कर!
🌺🌺
*बोसा— चुंबन

—Vijay Kumar
© Truly Chambyal